Tuesday, February 16, 2010

विदेशियों ने ग्रहण किया संन्यास

सात भारतीय एवं 58 विदेशियों ने सोमवार को दुनिया का वैभव त्याग संन्यासी जीवन में पदार्पण किया। जूना अखाडे के महामंडलेश्वर पायलेट बाबा के आश्रम में इन सभी को संन्यास की दीक्षा दी गई। महाकुंभ की शेष अवधि में इन्हें संन्यासी जीवन की विशेषताओं से अवगत करा दिया जाएगा। इसके बाद ये संन्यासी देश दुनिया में धर्म प्रचार करेंगे। नील धारा में चले रहे शिविर में भारत के सात लोगों के अलावा रूस, जापान, यूक्रेन व जार्जिया के 58 नागरिकों ने संन्यासी जीवन में पदार्पण किया। अलग-अलग समूहों में इन्हें संन्यास की दीक्षा दी गई। संन्यासी जीवन में पदार्पण करने वाले ये सभी पांच साल से जूना अखाडे के महामंडेलश्वर पायलेट बाबा से जुडे हुए हैं और समय-समय पर अध्यात्म का पाठ भी पढते रहे हैं। इस मौके पर जूना अखाडे के महामंडलेश्वर पायलेट बाबा ने कहा कि संन्यासी जीवन पूरी तरह अध्यात्म के लिए समर्पित होता है। सांसारिक सुखों से इनका कोई वास्ता नहीं होता है। इनका उद्देश्य भी समाज कल्याण ही होता है।