Monday, November 23, 2009

अपने पांव जमीन पर जरूर रखें..



सुबह से शाम तक भागदौड़ करने में हमारे पैर सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। 28 हड्डियों और 35 जोड़ों से मिलकर बना पांव एक इंसान की पूरी जिंदगी में लाखों किमी की दूरी तय करता है। यदि आप चाहते हैं कि आपके पांव पूरी जिंदगी यूं ही साथ निभाते रहें, तो इसके लिए इनकी थोड़ी देखभाल भी करनी होगी। आइये, बताते हैं कैसे।
नंगे पांव चलें : जूतों के कारण पांव में थकान होती है। यह पांव को कमजोर भी बनाता है। इसलिए रात में जूता उतारने के बाद घर में नंगे पांव चलें। यह पांव की मांसपेशियों के साथ शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। सुबह-सुबह नंगे पांव नम घास या बालू पर चलना भी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है।
ऐसे दें आराम : पांव को तुरंत आराम देने के लिए एक कुर्सी पर बैठकर बियर की खाली बोतल को आगे पीछे करें। बोतल पर बहुत ज्यादा दबाव न डालें।
तलवों की करें सफाई : पांव के तलवों को साफ करने के लिए झांवा या प्यूमिक स्टोन का इस्तेमाल करें। नहीं तो तलवे के किनारों की त्वचा सख्त होकर फटने लगेगी। समस्या बढ़ जाने पर इनसे खून रिसने लगता है और दर्द भी बहुत होता है।
अंगुलियों को व्यायाम कराएं : पांव की अंगुलियों को इधर उधर घुमाएं। इसके अलावा गर्म पानी में नमक डालकर उसमें अपने पांव डुबोकर रखें। पांव को धोने के बाद कोई क्रीम जरूर लगाएं।
नाखून काटते रहें: नाखूनों को नियमित रूप से काटते रहें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि वे किनारे से बहुत छोटे न कट जाएं।
सफाई रखें : पांव को नियमित रूप से साबुन से साफ करें। खासकर पांव की अंगुलियों के बीच के हिस्से को। तलवों के किनारे की त्वचा सख्त हो तो क्रीम या पेट्रोलियम जेली लगाएं।
कसे जूते न पहनें : पांव में फिट जूते ही पहनें। कई लोगों को तलवे में पसीना बहुत आता है। ऐसे लोग सिंथेटिक जूतों के बजाय लेदर के जूते पहनें। सैंडिल एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मोजा साफ पहनें। वह बहुत कसे हुए न हों।
डाक्टर की सलाह लें : पांवों की नियमित जांच करें। अगर पांव में दर्द, चकत्ते, छाले, दरार, सूजन या त्वचा का रंग बदलने की शिकायत हो तो फौरन डाक्टर से मिलें। बैठते समय पैरों को क्रास करके न बैठें। इससे रक्त संचार धीमा हो जाता है।
मसाज कराएं : पांव को आराम देने के लिए मसाज कराना काफी फायदेमंद होता है। पांव को साफ करने के साथ यह उनमें ऊर्जा का संचार भी करता है।

Wednesday, November 11, 2009

जलेबी दूर करती है शादी की रुकावट


          ये कहानी है अपने भारत के खंडवा इलाके की  यूं तो किसी को जलेबी या पान का बीड़ा खिलाना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यदि गौण्ड समाज का ठाठिया उत्सव हो तो समझ लीजिए कि पान और जलेबी की आड़ में एक प्रेम कहानी परवान चढ़ रही है। दरअसल आदिवासियों और उनमें भी खासकर गौण्ड समाज में यदि कोई नौजवान किसी कन्या को पान का बीड़ा या जलेबी दे तो इसका मतलब है कि वह लड़की को अपना प्रणय प्रस्ताव भेज रहा है और अगर लड़की उसे खा ले तो समझ लेना चाहिए कि लड़की ने उस प्रणय निवेदन को स्वीकार कर लिया है।
प्रेम की भाषा समझने के बाद लड़के को उस लड़की को भगा ले जाना होता है और फिर बज उठती है शहनाई। एक बार भाग जाने के बाद ऐसे प्रेमी युगल को दोनों पक्षों के परिवारजनों की स्वीकृति मिलना लाजिमी होता है और फिर इन्हें अज्ञातवास से बुला कर इनके ब्याह की रस्म पूरी कर दी जाती है।
इस तरह उलझी सी जलेबी उनके प्यार की उलझन सुलझाने का जरिया बन जाती है। गौण्ड समाज, जिन्हें ठाठिया भी कहा जाता है, में कुंवारे नौजवानों के ब्याह रचाने की ऐसी ही शैली है, जो इन दिनों समाज द्वारा मनाए जा रहे पाच दिवसीय ठाठिया उत्सव पर लगने वाले जिले के हाट में देखने को मिल रही है।
आदिवासी रहन-सहन के विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसा ही एक पर्व होली के अवसर पर होता है भगोरिया, जिसमें इस वर्ग के भील-भिलाला समाज के युवक-युवतिया भाग कर शादी करते हैं। आदिवासी बहुल इलाके में ठाठिया हाट बाजार में युवक अपनी प्रेयसी को पान का बीड़ा अथवा जलेबी देते हैं और यदि वह उसे खा लेती है, तो उसे लेकर भाग खड़े होते हैं। वह दोनो घर तभी लौटते हैं, जब घरवाले उन्हें बाकायदा विवाह की इजाजत दे देते हैं।