Friday, March 27, 2009

शक्ति के 9 रूप


चैत्र मास की प्रतिपदा के दिन से ही नवरात्र, यानी देवी दुर्गा की पूजा शुरू हो जाती है। इस वर्ष यह तिथि 27 मार्च को है। यह त्योहार भारत भर में पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा यानी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

शैलपुत्री : नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की जाती है। शैल का अर्थ पहाड़ होता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार, पार्वती पहाड़ों के राजा हिमवान की पुत्री थीं, इसलिए उन्हें शैलपुत्री भी कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल है।

ब्रह्मचारिणी : देवी दुर्गा ने इस रूप में एक हाथ में जल-कलश धारण किया है, तो दूसरे हाथ में गुलाब की माला। ब्रह्मचारिणी को विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। देवी रुद्राक्ष की माला धारण करना पसंद करती हैं।

चंद्रघंटा : नवरात्र के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी के इस रूप में दस हाथ और तीन आंखें हैं। आठ हाथों में शस्त्र हैं, तो दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में हैं। देवी के इस रूप की पूजा कांचीपुरम में की जाती है।

कूष्मांडा : देवी का यह रूप बाघ पर सवार है। इनकी दस भुजाएं हैं, जिनमें न केवल शस्त्र, बल्कि फूल माला भी

सुसज्जित हैं।

स्कंदमाता : देवी इस रूप में बाघ पर सवार हैं और अपने पुत्र स्कंद को भी साथ लिए हुई हैं। इस मुद्रा में वे दुष्टों का संहार करने को आतुर दिखाई देती हैं। कहते हैं कि कवि कालीदास ने मेघदूत और रघुवंश महाकाव्य की रचना देवी स्कंदमाता के आशीर्वाद से ही की थी।

कात्यायनी : देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के आश्रम में तपस्या की थी, इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

कालरात्रि : नवरात्र पूजा के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा होती है। इस रूप में देवी गधे पर सवार हैं और उनके बाल बिखरे हुए हैं। यह देवी अज्ञानता के अंधकार को मिटाने वाली मानी जाती हैं। कलकत्ता में देवी कालरात्रि की सिद्धि-पीठ है।

महागौरी : गौर वर्ण वाली देवी सफेद साड़ी धारण किए हुई हैं। उनके चेहरे पर दया और क रु णा का भाव है। उनके हाथ में डमरू और त्रिशूल भी है। हरिद्वार के कनखल में महागौरी का ख्याति प्राप्त मंदिर है।

सिद्धिदात्री- देवी इस रूप में कमल पर सवार हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी का यह रूप यदि भक्तों पर प्रसन्न हो जाता है, तो उसे 26 वरदान मिलते हैं। हिमालय के नंदा पर्वत पर सिद्धिदात्री का पवित्र तीर्थस्थान है।

Wednesday, March 25, 2009

जरूरी है फ‌र्स्ट एड की जानकारी


घर में पत्नी खाना बना रही हैं और अचानक उनका हाथ जल जाता है। समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए। जल जाना, कहीं चोट लग जाना, नाक से खून बहना या करंट लग जाना। ऐसे छोटे मोटे हादसे किसी के साथ कभी भी हो सकते हैं। कई बार इन मामलों में देर भारी पड़ जाती है। इसलिए फ‌र्स्ट एड की थोड़ी जानकारी होना सभी के लिए जरूरी है।

क्या है फ‌र्स्ट एड!

फ‌र्स्ट एड, वह चिकित्सकीय मदद है जो छोटे-मोटे हादसे के बाद डाक्टरी मदद मिलने तक पीड़ित को उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए घर पर ही कुछ जरूरी दवाओं से भरी फ‌र्स्ट एड किट बनाएं। इसमें रबर के दस्ताने, कैंची, रुई, डेटाल, बैंड एड, एक क्रेप बैंड एड, थर्मामीटर और कुछ दवाएं जैसे कफ सिरप, बुखार ठीक करने की दवा, इनहेलर, सर्दी-खांसी, आंख, सिरदर्द की दवा, विटामिन की गोली, ग्लूकोस और इलेक्ट्राल वगैरह हो।

सामान्य हादसे और उनके उपचार -

1.जल जाना: जले हुए अंग पर 10 मिनट तक ठंडा पानी डालें। घाव को रुई से अच्छी तरह साफ करें जिससे संक्रमण न हो। घर में बरनाल न हो तो टूथ पेस्ट लगाना भी फायदेमंद होगा।

2.कट जाने या चोट लगने पर : घाव को पानी से धोएं जिससे गंदगी साफ हो जाए। साफ रुई को घाव पर रखें जिससे खून निकलना बंद हो जाए। बैंड एड या दवा लगाकर पट्टी करें। ध्यान रखें कि घाव पर पानी न गिरे। इससे घाव पक सकता है। चोट पर हल्दी रखी जा सकती है। इससे न सिर्फ खून बहना बंद होगा, संक्रमण से भी बचाव होगा।

3.नाक से खून बहने पर: चोट, हाई ब्लड प्रेशर या संक्रमण की वजह से ऐसा हो सकता है। पीड़ित को इस तरह बैठाएं की वह थोड़ा आगे की तरफ झुका रहे। उसे मुंह से सांस लेने को बोलें। नाक का नाजुक हिस्सा दस मिनट तक दबाएं रखें।

4.चक्कर आने पर: कमजोरी या ब्लड प्रेशर कम होने पर ऐसा हो सकता है। पीड़ित को नमक शक्कर का घोल पिलाएं। ग्लूकोज दिया जा सकता है।

5.बेहोश होने पर : बेहोश व्यक्ति को पीठ के बल इस तरह लिटाएं कि उसके पैर सिर की अपेक्षा ऊंचाई पर रहें। ऐसा करने से खून दिमाग और हृदय की ओर बहेगा। मुंह पर पानी का छींटा मारें।

6.मोच आने पर: प्रभावित हिस्से को ज्यादा हिलाएं नहीं। सूजन के लिए बर्फ को कपड़े में बांध कर सूजन वाले हिस्से पर रखें।

7.करंट लगने पर : तुरंत बिजली का मेन स्विच बंद करें। पीड़ित व्यक्ति को कंबल में लपेटें। ध्यान दें, ऐसा करते हुए आपने चप्पल पहन रखी हो और पानी से भींगे हों।

8.कीड़े, सांप, मकड़ी, कुत्तो के काटने पर: सांप के काटने पर व्यक्ति को लिटाएं, हिलने डुलने न दें। घाव को फौरन साफ पानी से धोएं। जहां सांप ने काटा हो उससे थोड़ा ऊपर कस कर कपड़ा बांधे ताकि जहर शरीर में न फैल सके। मकड़ी या किसी कीड़े के काटने पर बर्फ लगाएं। इससे सूजन नहीं होगी। पंट्टी भूल कर भी न बांधे। कुत्तो को काटने पर घाव को धोएं। फौरन डाक्टर के पास जाएं। यह जरूर जांच कराए कि कुत्तो को रेबीज तो नहीं था।

फ‌र्स्ट एड देने के बाद भी यदि पीड़ित की स्थिति बिगड़ रही हो तो फौरन डाक्टर से संपर्क करें।

यह हर्गिज करें

1.जल जाने पर घी वगैरह कभी मत लगाएं।

2.खून बहने पर ज्यादा देर तक पानी के नीचे घाव को न रखें। इससे खून तो ज्यादा बहता ही है घाव के पकने का खतरा भी हो जाता है।

3.किसी के जहर खा लेने पर उसके मुंह में अंगुली डालकर उलटी कराने की कोशिश न करें। इससे उसकी सांसें रुक सकती हैं।

Friday, March 20, 2009

काले, घने और लंबे बाल चाहिए तो..


हर किसी चाहत होती है कि उसके बाल मजबूत, चमकदार और स्वस्थ हों। मगर अफसोस, महंगे शैम्पू और कंडीशनर लगाने के बाद भी कोई विशेष लाभ नहीं होता। बाल दिन ब दिन कमजोर होते चले जाते हैं। यदि आप भी अपने बालों को लेकर चिंतित हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं। हम प्रस्तुत कर रहे हैं लंदन के विशेषज्ञ फिलिप किंग्सले द्वारा दिए गए कुछ टिप्स। इन्हें आजमाएं और पाएं काले, घने और लंबे बाल।

1. फिलिप कहते हैं कि बाल 30 फीसदी खिंचने के बाद ही टूटते हैं। याद रहे नहाते वक्त बालों पर कंडीशनर लगाने के बाद धोते समय उलझे बालों को ज्यादा खींचे नहीं। यही गलती कहीं जाने की जल्दी में कंघी करते हुए भी होती है। बालों के साथ ज्यादा जोर जबरदस्ती उन्हें जड़ से कमजोर बना देती है।

2. ड्रायर के इस्तेमाल से आपके बाल भले ही स्टाइलिश हो जाते हैं लेकिन लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बालों को रूखा बना देता है। कई बार उन्हें जला तक देता है। ड्रायर या कोई भी इलेक्ट्रानिक उपकरण का इस्तेमाल करने से बचें। अपनी कंघी, रोलर को साफ रखें।

3.लंबे समय तक यदि बालों को काटा न जाए तो यह दोमुंहे हो जाते हैं। इससे बाल ज्यादा बढ़ नहीं पाते। इससे बचने के लिए हर 10वें हफ्ते में एक बार ट्रिमिंग कराएं।

4.बालों को मुलायम और चमकदार बनाने के लिए हफ्ते में एक बार शैम्पू करें। दूसरी बार केवल पानी और कंडीशनर से बाल धोएं। गलती से भी बालों की क्रीम इस्तेमाल न करें। बाल रोज न धोएं। इससे बालों की नमी चली जाती है।

5.शैम्पू करने से पहले बालों की अच्छी तरह कंघी करें। उसके बाद ही बाल धोएं। पूरे दिन में चार पांच बार कंघी करने से सिर का रक्त संचार बेहतर होता है, जो बालों के लिए अच्छा है।

6.तेल से चंपी जरूर करें। मछली का तेल लगाना भी फायदेमंद है।

7.सिर्फ बाहरी देखभाल से बाल स्वस्थ नहीं रहते। अपने खानपान में दूध, दही, आंवला, फलों का जूस, हरी सब्जियां, अंडा और विशेष रूप से मछली जरूर शामिल करें।

काले, घने और लंबे बाल चाहिए तो..

हर किसी चाहत होती है कि उसके बाल मजबूत, चमकदार और स्वस्थ हों। मगर अफसोस, महंगे शैम्पू और कंडीशनर लगाने के बाद भी कोई विशेष लाभ नहीं होता। बाल दिन ब दिन कमजोर होते चले जाते हैं। यदि आप भी अपने बालों को लेकर चिंतित हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं। हम प्रस्तुत कर रहे हैं लंदन के विशेषज्ञ फिलिप किंग्सले द्वारा दिए गए कुछ टिप्स। इन्हें आजमाएं और पाएं काले, घने और लंबे बाल।

1. फिलिप कहते हैं कि बाल 30 फीसदी खिंचने के बाद ही टूटते हैं। याद रहे नहाते वक्त बालों पर कंडीशनर लगाने के बाद धोते समय उलझे बालों को ज्यादा खींचे नहीं। यही गलती कहीं जाने की जल्दी में कंघी करते हुए भी होती है। बालों के साथ ज्यादा जोर जबरदस्ती उन्हें जड़ से कमजोर बना देती है।

2. ड्रायर के इस्तेमाल से आपके बाल भले ही स्टाइलिश हो जाते हैं लेकिन लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बालों को रूखा बना देता है। कई बार उन्हें जला तक देता है। ड्रायर या कोई भी इलेक्ट्रानिक उपकरण का इस्तेमाल करने से बचें। अपनी कंघी, रोलर को साफ रखें।

3.लंबे समय तक यदि बालों को काटा न जाए तो यह दोमुंहे हो जाते हैं। इससे बाल ज्यादा बढ़ नहीं पाते। इससे बचने के लिए हर 10वें हफ्ते में एक बार ट्रिमिंग कराएं।

4.बालों को मुलायम और चमकदार बनाने के लिए हफ्ते में एक बार शैम्पू करें। दूसरी बार केवल पानी और कंडीशनर से बाल धोएं। गलती से भी बालों की क्रीम इस्तेमाल न करें। बाल रोज न धोएं। इससे बालों की नमी चली जाती है।

5.शैम्पू करने से पहले बालों की अच्छी तरह कंघी करें। उसके बाद ही बाल धोएं। पूरे दिन में चार पांच बार कंघी करने से सिर का रक्त संचार बेहतर होता है, जो बालों के लिए अच्छा है।

6.तेल से चंपी जरूर करें। मछली का तेल लगाना भी फायदेमंद है।

7.सिर्फ बाहरी देखभाल से बाल स्वस्थ नहीं रहते। अपने खानपान में दूध, दही, आंवला, फलों का जूस, हरी सब्जियां, अंडा और विशेष रूप से मछली जरूर शामिल करें।

Thursday, March 19, 2009

गुदगुदी

मालिक (नौकर से)- आज तुमने रोटी में ज्यादा घी लगा दिया है।

नौकर (मालिक से)- नहीं मालिक, लगता है गलती से मैंने अपनी रोटी आपको दे दी है।

Tuesday, March 17, 2009

कमाई का जरिया बना कुत्तों का.....................


कभी वासिफ खान को कुत्तों से बहुत डर लगता था। मुंबई में यह कोई बड़ी बात नहीं है, जहां अक्सर आवारा कुत्ते लोगों पर न सिर्फ भौंकते है बल्कि काट भी लेते है।आज वही वासिफ पालतू कुत्तों को नियमित टिफिन सप्लाई करने वाली एजेंसी होमकेयर डॉगफूड चलाते है।

29 वर्षीय वासिफ के ग्राहकों में सेलेब्रिटीज से लेकर उच्चस्तरीय एक्जीक्यूटिव्स तक के पालतू कुत्ते शामिल है। मुंबई में भूखे लोगों को घर का पका भोजन पहुँचाते डिब्बावालों या फ्रेश पिज्जा की सप्लाई कर रहे पिज्जा ब्वॉय की तरह ही होमकेयर डागफूड के डिलीवरीमैन मनुष्य के सबसे वफादार दोस्त को खाना सप्लाई करने के लिए मुंबई की सड़कों पर इधर-उधर जाते दिख जाते है। वासिफ बताते है, ''कुत्ते काफी समझदार होते है। खाने का समय होते ही उन्हे अपने-आप पता चल जाता है। यह देखकर अच्छा लगता है कि वे हमारे उत्पादों का इंतजार कर रहे होते है और डिलीवरीमैन को देखते ही उछलने और भौंकने लगते है।''

चार साल पहले वासिफ एक कॉमर्स ग्रेजुएट के रूप में नौकरियां बदलते हुए दिशाहीन जीवन जी रहे थे। एक सुबह उन्होंने बांद्रा स्थित अपने घर के पास मालिकों के साथ मार्निग वॉक पर निकले कुत्तों को देखा। वह कहते है, ''अचानक मेरे दिमाग की बत्ती जल गई। मुझे लगा डागफूड टिफिन का बिजनेस क्यों नहीं ?'' उनके मित्रों को यह विचार पागलपन लगा, क्योंकि कुत्तों से डरने के कारण वासिफ ने कभी कुत्ता पालने के बारे में भी नहीं सोचा था। खैर, वासिफ ने अपने नाम के कार्ड प्रिंट करवाए और लोगों की रुचि जानने के लिए दरवाजों को खटखटाने लगे।

कुत्तों के मालिकों को उनका यह आइडिया काफी पसंद आया और प्रोत्साहित वासिफ ने संभावित ग्राहकों के पालतू कुत्तों की प्रजाति, आकार और भोजन संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने पशु चिकित्सकों से भी सलाह ली। सबसे पहले उन्होंने सामान्य चावल और मांस के मिश्रण से डागफूड टिफिन तैयार किया, जिसे पड़ोस में टहलते हुए आवारा कुत्ते को खिलाया गया। कोई बुरा प्रभाव सामने न आने पर वासिफ ने इसके सैंपल जांच के लिए मुफ्त में बांटे और कई लोगों ने उन्हे नियमित डिलीवरी के लिए आर्डर दे दिया।

खान बताते है कि नए-नए ग्राहकों को बनाने के लिए उन्होंने कड़ा प्रयास किया। एक बार तो कार में बैठे कुत्ते को देखकर उन्होंने स्कूटर से उसका पीछा किया, ताकि वह उसके मालिक से अनुबंध कर सकें। साइकिल से डिलीवरी की शुरुआत करने वाले वासिफ अब स्कूटरों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल करते हैं, जिनके पीछे पिज्जा डिलीवरी करने वालों की स्टाइल में बॉक्स फिट रहता है। इस बॉक्स पर उनकी कंपनी का लोगो लगा है। कभी अकेले ही डॉगफूड टिफिन बनाने, डिलीवरी, मार्केटिंग और पब्लिक रिलेशन जैसे काम संभालने वाले वासिफ के पास आज 24 लोगों का प्रशिक्षित स्टाफ है। भोजन में विभिन्नता लाने के लिए होमकेयर डॉगफूड के मेन्यू में भैंसे, चिकन और बकरी के व्यंजन है तो हिंदू और जैन घरों के पालतू कुत्तों के लिए शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध है।

Monday, March 9, 2009

फौलादी संकल्प


वाह धनेसरी! श्रमदान से बनवा दी सड़क





धनेसरी देवी फौलादी संकल्प का प्रतीक हैं। अक्षर नहीं पहचाती फिर भी पढ़े लिखों के कान काटती है। एक पिछड़े गांव को अपनी कोशिशों से सुविधा संपन्न कर दिया। बिजली, पानी, सड़क और स्कूल सब कुछ है। गांव भर को बटोरा और श्रमदान से गांव को जोड़ने वाली डेढ़ किमी सड़क बनवा दी। घनेसरी की कोशिशों से बीस गांवों की 18 सौ महिलाएं डेढ़ सौ समूहों में संगठित हो विकास की दौड़ में शामिल हैं। गरीबों के दरवाजे न फटकने वाले बैंक और बीडीओ तक धनेसरी से सलाह मशविरा करते हैं।

धनेसरी न ग्राम प्रधान है और न बीडीसी या जिला पंचायत सदस्य। फिर भी उसका जनाधार व्यापक है। यह उसकी सेवा और लगन से बना है। एक ऐसी आम महिला जिसने गरीबी से लड़ते हुए न सिर्फ अपने कुनबे को इससे निजात दिलाई, बल्कि अपने जैसी बहुतेरी गरीब महिलाओं को भी खुशहाली का रास्ता दिखाया।

सरदारनगर के ग्रामसभा अवधपुर शांति टोला की निवासी धनेसरी के पति राम नरायन कुर्मी कभी बेरोजगार थे। अब उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

धनेसरी की पहलकदमी 1992 में गांव जाने वाली एक सड़क के निर्माण के लिए श्रमदान से शुरू हुई। सड़क बनने की खबर जब ब्लाक तक पहुंची तोतत्कालीन बीडीओ उससे मिले और उसे महिलाओं कासमूह बनाने को प्रेरित किया। धनेसरी ने एक समूह बनाया। उसके प्रयासों से गांव में एक प्राइमरी विद्यालय खुल गया। आज विद्यालय में तीन सौ से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।

समूह का खाता खोलने में पहले बैंकों ने कई चक्कर लगवाया, पर धनेसरी का जज्बा देख बैंक अधिकारी खुद गांव आए और समूह का खाता खोला। शुरुआती दौर में दो सौ बीस रुपये से खाता खुला आज समूह के पास कई लाख की पूंजी है। समूह के पास अपनी मारुति कार है। अब बैंक समूह की सदस्यों को कर्ज देने में नहीं हिचकते।

धनेसरी देवी के प्रयास से इस समय बीस गांवों में डेढ़ सौ स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। इनमें 18 सौ महिलाएं जुड़ी हैं। इन समूहों ने ब्लाक तथा एनजीओ के सहयोग से करीब एक लाख पौधों का रोपण भी किया है। यही नहीं जैविक खेती में सहायक केंचुआ का पालन भी कर रही हैं।

समूह की महिलाएं नरेगा के तहत जल संरक्षण पर भी काम कर रही है। धनेसरी देवी के पास जहां एक झोपड़ी भी ढंग की नहीं थी आज पक्का मकान है। खास बात यह है कि धनेसरी ने अकेले नहीं सैकड़ों परिवारों के साथ विकास के पथ पर यात्रा शुरू की है।

Friday, March 6, 2009

'देवताओं' को खुलेआम लूट रहा गिरोह



यहां लुटते हैं अतिथि देव


'अतिथि देवो भव्', यह सरकार का मूलमंत्र है पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए। अतिथि देवता के समान हैं। कागजों में उन्हें दर्जा भी देवता का दिया जाता है लेकिन राजधानी में इसका मतलब कुछ और है। यहां जिस अतिथि का आदर सत्कार होना चाहिए, उन्हें लूटा जा रहा है। वह भी योजनाबद्ध तरीके से। हैरानी की बात तो यह है कि इस कृत्य में वही लोग शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने अतिथियों के स्वागत का जिम्मा सौंपा है।

अर्से से चल रहे ठगी के इस 'खेल' में एक साथ कई संगठन काम कर रहे हैं। पर्यटन विभाग एवं सरकार भी इससे वाकिफ है लेकिन वह चेन को तोड़ने में असमर्थ हैं। क्योंकि, हर कोई 'चांदी का जूता' कमीशन में चाहता है। यह सारा 'खेल' कमीशन के लिए ही होता है। लेकिन, लूटा जाता है सीधा-साधा विदेशी पर्यटक। आप भी सुनकर हैरान हो जाएंगे कि विदेशी पर्यटकों के साथ देश में क्या सलूक किया जाता है। उन्हें खरीदारी के लिए चुनिंदा दुकानों व शोरूमों में ले जाया जाता है और 500 रुपये की चीज 5000 रुपये में दिलाई जाती है। दिल्ली में 150 से ज्यादा बड़ी ट्रेवल एजेंसियां हैं, जो 20 से 25 बड़े शोरूमों से जुड़ी हैं। इनके कर्मचारी विदेशी अतिथियों को उन्हीं दुकानों में ले जाते हैं, जहां से उनका कमीशन तय हैं। दिल्ली के बाहर खजुराहो, वाराणसी, आगरा, जयपुर, चंडीगढ़, अमृतसर, जोधपुर, उदयपुर, कोलकाता, हिमाचल, श्रीनगर आदि पर्यटन स्थलों पर भी यही हाल है। मजेदार बात यह है कि एक विदेशी पर्यटक देश में जैसे ही कदम रखता है, उसके साथ 5 एजेंसियां जुड़ जाती हैं। वह जहां-जहां चलता है, आगे पीछे लोग लग जाते हैं। अगर वह एक जगह दुकान में खरीदारी करता है तो तकरीबन 47 फीसदी कमीशन इनका बनता है। इसमें 10-10 फीसदी क्रमश: ड्राइवर, टूरिस्ट गाइड, ट्रेवल एजेंसी, गाड़ी मालिक एवं साढ़े 7 फीसदी कमीशन दुकान के दलाल को मिलता है, जो स्टेशन से ही गाड़ी के पीछे चिपक जाता है। कमीशन के कारण ही गाड़ी मालिक ड्राइवर को तनख्वाह नहीं देता। वह साफ कह देता है कि जाओ टूरिस्ट को लूटो..।

Tuesday, March 3, 2009

असली भक्ति गोरे विदेशियों में

असली भक्ति गोरे विदेशियों में

प्रफुल्लित होकर नाचते, गाते, उछलते, तालियां एवं विभिन्न वाद्य बजाते हरि बो, जय बिहारी जी, श्री राधे राधे आदि का उच्च स्वर में उद्घोष करते और समवेत स्वर में मनमोहकभजनों का गायन करते उन अनन्य भक्तों की मंडली नगर के मुख्य बजारोंसे होकर आगे बढ रही थी।

भजन मंडली के मार्ग में पडने वाले घरों के लोग, दुकानदार और राहगीर सांसे रोके यह नजारा देख रहे थे। यूं ऐसा दृश्य भारत के प्राय: सभी नगरों में देखा जा सकता है। लेकिन यहां एक बडा फर्क है। यहां जो लोग मंडली में शामिल है, वे अन्यत्र दर्शकों में शुमार होते और जो यहां दर्शक बने बैठे हैं वे अन्यत्र निश्चित रूप से मंडली के सदस्य होते।

भक्ति की यह उल्टी गंगा भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली वृंदावन में बहती है जहां की अधीश्वरी उनकी शक्ति स्वरूपाराधारानीहै।

स्वनामधन्य श्रीमद्एसीभक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपादजी द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृतसंघ [इस्कान] की यह बहुत बडी उपलब्धि है कि उसने सात समन्दर पार के गोरे जन समुदाय को भगवान कृष्ण की भक्ति से ऐसा जोडा कि भारत के लोग ही इसमें उनसे बहुत पीछे रह गए।

इस्कानके संपर्क में आने पर जब गोरों को लगा कि असली धर्म तो कृष्ण भक्ति में निहित है तो उन्होंने सब कुछ त्यागकर कृष्ण भक्ति की राह पकड ली। भारत में धर्म भीरूलोग अंदर से चाहने के बावजूद खुलकर धार्मिक इसलिए नहीं बनना चाहते कि इससे कहीं उनकी धर्म निरपेक्ष छवि पर दाग नहीं लग जाए। ऐसे लोगों के लिए ये विदेशी कृष्ण भक्त एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। धोती कुर्ता एवं कंठी माला पहने तिलक लगाए तथा जाप के लिए हाथ में गोमुखीमाला लिए इन नवभक्तोंको वृंदावन की कुंज गलियों में नंगे पैर विचरण करते कभी भी देखा जा सकता है।

सिर भले ही मुडाहो लेकिन शास्त्र सम्पतगाय के खुर के समान मोटी चुटिया उनके अप्रतिम हिन्दू भक्त होने का पूरा प्रमाण प्रस्तुत करती है। महिलाएं साडी तथा अंगरखा पहने रहती है। आधा मीटर कपडे की ब्लाउज नहीं, बल्कि साडी तथा पूरे दो मीटर कपडे के अंगरखा से उनका तन पूरी तरह से ढका रहता है। छोटी-छोटी लडकियों का भी यही पहनावा है।

विडंबना यह है कि विदेशियों पर नजर पडते ही दुकानदार हरि बोल हरि बोल का उच्चारण करते हुए उन्हें अपना माल बेचने की जुगत में लग जाते हैं। चूंकि बात हरि बोल से शुरू हुई है, अत:वे दुकानदारों की बात सुन तो लेते हैं लेकिन वे इतने नादान भी नहीं है कि अपने साथ हो रही चालाकी को ताड न सके।

एक ओर हर कोई आज अपनलोकप्रियता के लिए संघर्षरत है वहीं वृंदावन में रह रहे ये गोरे अपने प्रचार के भी इच्छुक नहीं है। भगवान को अमानी मानदो मान्योंकहा गया है। अर्थातवह अपना मान नहीं चाहतें और सबके मान्य होने के बावजूद दूसरों को ही मान देते हैं। ये ही गुण इन भक्तों ने भी आत्मसात कर लिए हैं। प्रेस से भी वे बात नहीं करते। कहते हैं कि इससे उनकी भक्ति प्रभावित होती है और अनवरत चलने वाले उनके मंत्रजापका क्रम टूटता है।

Monday, March 2, 2009

यह खाएं, कोलेस्ट्राल में कमी लाएं


व्यस्त दिनचर्या और भागमभाग जिंदगी में कुछ भी और कभी भी खाने की आदत, फास्ट फूड पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता और सेहत के प्रति लापरवाही जैसे कारणों से कोलेस्ट्राल बढ़ जाना आम बात है। लेकिन आपकी सेहत के लिए यह बेहद घातक साबित हो सकता है। इससे हृदय रोग और हार्ट अटैक का खतरा काफी बढ़ जाता है। दुनिया में एक तिहाई मौत हृदय रोग या हार्ट अटैक के कारण ही होती है।

क्या होता है कोलेस्ट्राल

कोलेस्ट्राल विटामिन और खनिज की तरह ही होता है। यह भोजन के जरिए शरीर को मिलता है। इसके अलावा लिवर भी कोलेस्ट्राल बनाता है। कोलेस्ट्राल इसलिए जरूरी है क्योंकि यह शरीर के वसा का उपयोग करने की प्रक्रिया में सहायक होता है। खून में दो तरह के कोलेस्ट्राल होते हैं। बैड कोलेस्ट्राल [लो डेंसिटी कोलेस्ट्राल] और गुड कोलेस्ट्राल [हाई डेंसिटी कोलेस्ट्राल]।

गुड और बैड कोलेस्ट्राल के अनुपात से ही हृदय रोग के खतरे का पता चलता है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि शरीर में गुड कोलेस्ट्राल अधिक और बैड कोलेस्ट्राल कम मात्रा में मौजूद हो। वसा युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पेस्ट्री, चीज, मांस, स्नैक्स, तैलीय पदार्थ बैड कोलेस्ट्राल को बढ़ाते हैं। लेकिन आहार में कुछ बदलाव कर इस खतरे से बचा जा सकता है।

1. वैसे तो अंडे को कोलेस्ट्राल बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। लेकिन, सरे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह साबित कर दिया है कि अंडा खाने से कोलेस्ट्राल के स्तर में कोई फर्क नहीं पड़ता। यही नहीं, हफ्ते में तीन बार अंडा खाना स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है। वहीं, मांसहारी लोगों को कम वसा युक्त लीन मीट खाने की सलाह दी गई है।

2. ओट, दाल, रेशेदार फलों का सेवन करने से भी बैड कोलेस्ट्राल कम होता है।

3. खाना बनाने में सफेद सरसों, जैतून, मक्का और सूरजमुखी का तेल इस्तेमाल करें। यह बैड कोलेस्ट्राल घटाने और गुड कालेस्ट्राल बढ़ाते हैं।

5. नाश्ते में अंडा, मशरूम खाना फायदेमंद है। जहां अंडे से प्रोटीन, ओमेगा-3 और आयरन मिलता है वहीं मशरूम रेशेदार खाद्य पदार्थ है। स्किम्ड मिल्क पिएं। नाश्ता तलकर बनाने की बजाय ग्रिल करें। इससे खाने में वसा और कैलोरी की मात्रा कम हो जाती है।

6. भूने हुए खाद्य पदार्थ में ओमेगा 3 दस फीसदी कम होता है। यह शरीर में शर्करा और बैड कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रखने में सहायक होता है।

7. रेशेदार फल सब्जियां खाने से भी बैड कोलेस्ट्राल घटता है। विटामिन युक्त आहार, गाजर, मटर, पत्तागोभी जैसी सब्जियां खाने से न केवल बैड कोलेस्ट्राल घटता है, इन्हें खाने से पेट भरा रहने का एहसास भी होता है और वजन नियंत्रित रहता है।

8. अगर आप मीठा खाने के शौकीन हैं तो सेब और आलूबुखारे की पुडिंग खाएं। इससे भी बैड कोलेस्ट्राल में कमी आती है। यह रेशेदार होने के साथ साथ पौष्टिक भी होती है।