Tuesday, March 16, 2010

रोज एक अंडा, मतलब मोटापा दूर

सब जानते हैं कि अंडा पोषक आहार है। लेकिन अब एक शोध का दावा है कि प्रतिदिन एक अंडा खाने से मोटापा कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अंडे में विटामिन डी, विटामिन बी12, सेलेनियम और कोलिन होता है। ये तत्व मोटापा घटाने में मददगार हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, एक अंडे में करीब 80 कैलोरी होती है।




डेली मेल की खबर के अनुसार, प्रमुख शोधकर्ता और आहार विशेषज्ञ डा. केरी रक्सटन ने बताया, 'प्रतिदिन एक अंडा खाने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं। नए प्रमाणों से पता लगा है कि अंडा खाने से संतुष्टि का एहसास होने के साथ ही मोटापे पर नियंत्रण रहता है। अंडा आंखों के लिए भी फायदेमंद है।'



अध्ययन के मुताबिक, अंडे में कई लाभदायक अमीनो एसिड भी होते हैं। जो बच्चों और युवाओं के शारीरिक विकास के लिए अति आवश्यक हैं। शोध में दावा किया गया है कि अंडे में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट उम्र के साथ होने वाले मांसपेशियों के क्षय को भी रोकते हैं।


Friday, March 5, 2010

पाकिस्तान में होली नहीं मनाते हिंदू

पाकिस्तान में होली नहीं मनाते हिंदू

पाकिस्तान में रहने वाले अधिकांश हिंदू होली नहीं मनाते हैं। यहीं नहीं, पहचान छुपाने के लिए उन्होंने अपने मुस्लिम नाम रख लिए हैं। पाकिस्तान में ज्यादातर हिंदू व्यवसायी सिंध प्रांत से आते हैं।




यहां सुपर मार्केट में हस्तशिल्प की एक दुकान के मालिक गिरीश के दो नाम हैं। मुस्लिम नाम वे अपने ग्राहकों जबकि असल नाम करीबियों को बताते हैं। पिछले साल सुपर मार्केट में उन्होंने होली मिलन समारोह का आयोजन करके नियमों का उल्लंघन किया था। उन्होंने दुकान के बाहर गुलाल से होली खेली थी। लेकिन इस बार उनकी रंग खेलने की कोई योजना नहीं है।



यह सिर्फ एक बानगी हैं। उनके जैसे तमाम लोग अपनी पहचान को छुपाकर रखना चाहते हैं। मशहूर हैंडीक्राफ्ट शाप महारानी के मालिक कुमार ने कहा, 'हम दो ईद मनाते हैं। पहली दीवाली, दूसरा होली। हम दोनों त्योहारों को कराची में मनाते हैं।' वे कहते हैं कि हमें किसी ने धमकी नहीं दी है। लेकिन हम लोगों को बताना नहीं चाहते कि हम हिंदू हैं।' वह बताते हैं कि होली के रंग अबपारा बाजार में उपलब्ध हैं। इन्हें घर पर या हर साल की तरह रावलपिंडी के मंदिरों में जाकर खेला जा सकता है।



होली के अलावा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार दीवाली भी यहां नहीं मनाया जाता। कुमार बताते हैं हम दीवाली पर सिंध जाते हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से ऐसा नहीं हो पा रहा है क्योंकि दीवाली और रमजान के त्योहार आसपास पड़ रहे हैं। यह हमारे व्यापार का सर्वोत्ताम समय होता है। ऐसे समय में हम दुकान बंद नहीं कर सकते। वह बताते हैं सुरक्षा कारणों से इस्लामाबाद में पटाखे नहीं बेचे जाते। पिछले साल बाजार में पटाखा छोड़ने के आरोप में कुमार के एक दोस्त को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस वालों को दीवाली के बारे में बताने पर उन्होंने उसे रिहा किया।

Tuesday, February 16, 2010

विदेशियों ने ग्रहण किया संन्यास

सात भारतीय एवं 58 विदेशियों ने सोमवार को दुनिया का वैभव त्याग संन्यासी जीवन में पदार्पण किया। जूना अखाडे के महामंडलेश्वर पायलेट बाबा के आश्रम में इन सभी को संन्यास की दीक्षा दी गई। महाकुंभ की शेष अवधि में इन्हें संन्यासी जीवन की विशेषताओं से अवगत करा दिया जाएगा। इसके बाद ये संन्यासी देश दुनिया में धर्म प्रचार करेंगे। नील धारा में चले रहे शिविर में भारत के सात लोगों के अलावा रूस, जापान, यूक्रेन व जार्जिया के 58 नागरिकों ने संन्यासी जीवन में पदार्पण किया। अलग-अलग समूहों में इन्हें संन्यास की दीक्षा दी गई। संन्यासी जीवन में पदार्पण करने वाले ये सभी पांच साल से जूना अखाडे के महामंडेलश्वर पायलेट बाबा से जुडे हुए हैं और समय-समय पर अध्यात्म का पाठ भी पढते रहे हैं। इस मौके पर जूना अखाडे के महामंडलेश्वर पायलेट बाबा ने कहा कि संन्यासी जीवन पूरी तरह अध्यात्म के लिए समर्पित होता है। सांसारिक सुखों से इनका कोई वास्ता नहीं होता है। इनका उद्देश्य भी समाज कल्याण ही होता है।

Friday, January 15, 2010

फ्यूजन कॉण्डम


भारतीय मूल के कारोबारी बंधुओं शंदीप और केतन शाह के शाकाहारी कॉण्डम ने ब्रिटेन के हेल्थ स्टोर्स में धूम मचा रखी है। इस फ्यूजन कॉण्डम में दूसरे कॉण्डम्स के मुकाबले दूध आधारित केसिन का उपयोग नहीं किया जाता और इसे ब्रिटेन की वेजन सोसाइटी में रजिस्टर्ड कराया गया है। फ्यूजन कॉण्डम्स के एमडी शंदीप शाह का दावा है कि ज्यादातर शाकाहारी लोगों को पता नहीं होगा कि कॉण्डम में दूध का अंश होता है। फ्यूजन कॉण्डम्स लोगों को सुरक्षित सेक्स के बारे में जागरुक करना चाहती है।




आंकडों की मानें तो किशोरवय में गर्भधारण की प्रवृत्ति एक बार फिर जोर पकड रही है। इसे काबू करने के लिए गर्भनिरोधकों को और आसानी से उपलब्ध कराने की मांग उठाई गई। गौरतलब है कि ब्रिटेन में करीब 30 लाख शाकाहारी और 180000 वेजंस रहते हैं। वेजंस वे लोग हैं जो खाने-पीने, पहनने अथवा किसी और काम के लिए जानवरों के शरीर से बनीं चीजें इस्तेमाल नहीं करते।

Monday, January 4, 2010

"माँ होती तो”....

न माँ से कुछ पूछते हुए न पापा को कुछ बताते हुए


कुछ ज़िन्दगी ऐसी भी न रोते हुए न मुस्कुराते हुए



जैसे मुक्कमल हसरतें दिल की सारी हो रही हो

ख्वाबों को हकीक़त में बदलने की तैयारी हो रही हो

माचिस के डिब्बों से एक छोटा सा घर बनाते हुए



मानो वो बचपन अपनी ही अदा भुला बैठा हो

महफूज़ सा कल भी कहीं खफा खफा बैठा हो

जूठे गिलास धोते हुए पुराने जूते चमकाते हुए



"माँ होती तो”.... उन्हें ये तस्सवुर ही नहीं है

पेट भी भरता होगा उनका ये ज़रूरी नहीं है

सिकुड़ कर के बदन को ठण्ड से वो बचाते हुए



बहुत होंगे पर कोई इतना बदनसीब क्या होगा

इन मासूमों से ज्यादा भी कोई गरीब क्या होगा

एक अदद गुब्बारे की ज़रूरत को भी छिपाते हुए