यहां लुटते हैं अतिथि देव
'अतिथि देवो भव्', यह सरकार का मूलमंत्र है पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए। अतिथि देवता के समान हैं। कागजों में उन्हें दर्जा भी देवता का दिया जाता है लेकिन राजधानी में इसका मतलब कुछ और है। यहां जिस अतिथि का आदर सत्कार होना चाहिए, उन्हें लूटा जा रहा है। वह भी योजनाबद्ध तरीके से। हैरानी की बात तो यह है कि इस कृत्य में वही लोग शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने अतिथियों के स्वागत का जिम्मा सौंपा है।
अर्से से चल रहे ठगी के इस 'खेल' में एक साथ कई संगठन काम कर रहे हैं। पर्यटन विभाग एवं सरकार भी इससे वाकिफ है लेकिन वह चेन को तोड़ने में असमर्थ हैं। क्योंकि, हर कोई 'चांदी का जूता' कमीशन में चाहता है। यह सारा 'खेल' कमीशन के लिए ही होता है। लेकिन, लूटा जाता है सीधा-साधा विदेशी पर्यटक। आप भी सुनकर हैरान हो जाएंगे कि विदेशी पर्यटकों के साथ देश में क्या सलूक किया जाता है। उन्हें खरीदारी के लिए चुनिंदा दुकानों व शोरूमों में ले जाया जाता है और 500 रुपये की चीज 5000 रुपये में दिलाई जाती है। दिल्ली में 150 से ज्यादा बड़ी ट्रेवल एजेंसियां हैं, जो 20 से 25 बड़े शोरूमों से जुड़ी हैं। इनके कर्मचारी विदेशी अतिथियों को उन्हीं दुकानों में ले जाते हैं, जहां से उनका कमीशन तय हैं। दिल्ली के बाहर खजुराहो, वाराणसी, आगरा, जयपुर, चंडीगढ़, अमृतसर, जोधपुर, उदयपुर, कोलकाता, हिमाचल, श्रीनगर आदि पर्यटन स्थलों पर भी यही हाल है। मजेदार बात यह है कि एक विदेशी पर्यटक देश में जैसे ही कदम रखता है, उसके साथ 5 एजेंसियां जुड़ जाती हैं। वह जहां-जहां चलता है, आगे पीछे लोग लग जाते हैं। अगर वह एक जगह दुकान में खरीदारी करता है तो तकरीबन 47 फीसदी कमीशन इनका बनता है। इसमें 10-10 फीसदी क्रमश: ड्राइवर, टूरिस्ट गाइड, ट्रेवल एजेंसी, गाड़ी मालिक एवं साढ़े 7 फीसदी कमीशन दुकान के दलाल को मिलता है, जो स्टेशन से ही गाड़ी के पीछे चिपक जाता है। कमीशन के कारण ही गाड़ी मालिक ड्राइवर को तनख्वाह नहीं देता। वह साफ कह देता है कि जाओ टूरिस्ट को लूटो..।
आपने सच कहा है जयपुर मे तो बाकायदा इसके लिये कोड वर्ड बना रखे है । जिसे विदेशी तो क्या देशी पर्यटक भी नही समझ पाता है । आभार अच्छी व जागरूक करने वाली जानकारी देने के लिये
ReplyDeleteसही कह रहे हैं आप.. विदेशी पर्यटक इसी वजह से हिंदुस्तान की बुरी तस्वीर अपने साथ लेकर जाते हैं .. आपको होली की ढेरों शुभकामनाएं...
ReplyDeleteacchi jaankari hae
ReplyDeleteEven Indian tourists are also treated alike.
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