Thursday, March 13, 2008

गोलियां खाकर भी नहीं छोड़ा आतंकी को

गोलियां खाकर भी नहीं छोड़ा आतंकी को





औरों की सुरक्षा के लिए जो बंदूक लेकर चलते हैं उनकी जान भी खतरे में पड़ती है। लेकिन कुछ उल्लेखनीय ढंग से वीरगति प्राप्त करते हैं जिन्हें उनके बलिदान के लिए बारंबार याद किया जाता है।

अभी हाल ही में पदोन्नति प्राप्त कर सहायक सब इंस्पेक्टर का दर्जा हासिल करने वाले महाराष्ट्र पुलिस के 48 वर्षीय तुकाराम आंबले मुंबई में आतंकी हमले के दौरान एक हीरो की तरह शहीद हुए हैं। मुंबई आतंकी हमले में उभरकर सामने आए कई वीरतापूर्ण कारनामों में से एक सच्ची कहानी तुकाराम की भी है।

सलाम तुकाराम को जिसकी बहादुरी के कारण मुंबई पुलिस को आतंकी हमले का एकमात्र आतंकी हाथ लग सका है। अपने वाकी टाकी पर 26 नवंबर की रात प्राप्त संदेश के मुताबिक तुकाराम आंबले क्लास्निकोव एसाल्ट राईफल लेकर अंधाधुंध फायरिंग करने वाले आतंकियों का पीछा किया था।

आतंकियों के बारे में संदेश फैल जाने के बाद डीबी नगर पुलिस स्टेशन की टीम ने चौपाठी के लालबत्ती पर नाकाबंदी की। डीबी नगर पुलिस स्टेशन के सहायक इंस्पेक्टर हेमंत भावधनकर ने बताया कि हमें अपहृत स्कोडा कार पर दो आंतकियों के आने की सूचना मिली थी। हमने सूचना पाने के तत्काल बाद ही दक्षिण मुंबई में स्थित गीरगांव चौपाठी पर नाकाबंदी की।

उन्होंने कहा कि सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही हमने देखा कि जिस तरह के कार का ब्यौरा दिया गया था। नाकाबंदी से 50 फीट दूर पर अपनी गति को कम कर लिया है क्योंकि यह कार यू टर्न लेने की कोशिश कर रही थी। इस प्रक्रिया में वह रोड डिवाइडर से भी टकराई। इसके बाद कार हमारी ओर आने लगी और अजमल कसाब [गिरफ्तार आतंकी] कार से उतर आया और आत्मसमर्पण करने जैसी मुद्रा में दिखा क्योंकि उसे दोबारा फिर से अंधाधुंध गोलीबारी करनी थी।

अपनी जान की परवाह किए बगैर तुकाराम आंबले कसाब के सामने आ गया और उसने आतंकी के एके 47 राइफल के बैरल को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया।

तुकारम आंबले की ओर अपने बंदूक की नोक किए हुए कसाब ने ट्रीगर दबा दी। इस बहादुर पुलिसकर्मी ने सारी गोलियों को अपने सीने के अंदर समाने दिया, लेकिन उसने आतंकी के बंदूक के बैरल को नहीं छोड़ा।

गोलियां खाने के बाद तुकाराम गिर पड़ा, लेकिन कसाब [आतंकी] को नहीं छोड़ा। इसके चलते कसाब की गोलियां का शिकार तुकाराम की टीम के अन्य किसी सदस्य को नहीं होना पड़ा।

इस बीच, उसकी टीम के सदस्यों को दूसरे आतंकी इस्माईल को ढेर करने का मौका मिल गया और कसाब को धर दबोचा। इस निर्भय पुलिस कर्मी की बहादुरी के चलते एकमात्र सबूत के तौर मोहम्मद अजमल कसाब इस समय आतंकवाद निरोधक टीम के कब्जे में है। और उससे जांच टीम को मुंबई आतंकी हमले के कई महत्वपूर्ण सुरागों के बारे में जानकरियां मिल रही है।

अबतक प्राप्त जानकारियों के मुताबिक यह आतंकी प्रमुख आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा के लिए पिछले डेढ़ साल से काम कर रहा था।

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