देशभर में भले ही विजयादशमी की धूम हो, मगर एक जगह ऐसी भी है जहां रावण का पुतला जलाना तो दूर इस बारे में सोचना भी महापाप है। यह इलाका है हिमाचल के कांगड़ा जिले का बैजनाथ। मान्यता है कि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो मृत्यु निश्चित है।
मान्यता के अनुसार रावण ने बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था। यहां बिनवा पुल के पास स्थित एक मंदिर को रावण का मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग और उसी के पास एक बड़े पैर का निशान है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने इसी स्थान पर एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की थी। इसके बाद शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था। हवन कुंड के बारे में मान्यता है कि इसी कुंड के समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी।
शिव के सामने उनके परम भक्त रावण के पुतले को जलाना उचित नहीं था और ऐसा करने पर दंड तत्काल मिलता था। लिहाजा रावण दहन यहां नहीं होता। पर वर्ष 1967 में बैजनाथ में एक कीर्तन मंडली ने क्षेत्र में दशहरा मनाने का निर्णय लिया। एक साल के भीतर यहां इस उत्सव को मनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले व रावण के पुतले को आग लगाने वालों की या तो मौत होने लगी या उनके घरों में भारी तबाही हुई। यह सिलसिला 1973 तक चलता रहा। इन घटनाओं को देखते हुए बैजनाथ में दशहरा मनाना बंद कर दिया गया।
जागरण से साभार
अद्भुत बात भाई आपने बतायी
ReplyDeleteबधिया है भाऊ... ए गल तो मुज्जो पता ही नी थी...
ReplyDeleteदीये हेठ नेहरे वाली गल्ल होई गई :)
हरी अनंत हरी कथा अनंता!
ReplyDeleteएक से एक विचित्रताएँ और रहस्य भरे पडे हैं इस दुनिया में....जिनके बारे में एक सामान्य बुद्धि सम्पन्न व्यक्ति सिर्फ कयास ही लगा सकता है!!!!!!
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