Tuesday, June 23, 2009
पिछले चौदह सालों से उनकी बेटियां
पिछले चौदह सालों से उनकी बेटियां बिना मंडप के ही ब्याही जा रही हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के इस गांव का नाम है फतेहाबाद। इलाके में बहती है नारायणी नदी। 1996 में नारायणी के तांडव से ही टूटा था तिरहुत तटबंध। तब नदी की धारा के साथ करोड़ों की संपत्ति के साथ तीन लोग बह गए थे। गुजरते समय के साथ इस बर्बादी को तो लोग भूल चुके हैं, लेकिन विस्थापन से उनका जो नाता जुड़ा, वह अब तक कायम है।
पांच सौ परिवारों में से तीन सौ से अधिक ने तिरहुत तटबंध पर ही झोपड़ी बना ली, जबकि पचास से अधिक परिवार करमबारी गांव में सड़क किनारे तंबू में रात बिताने लगे। कुछ लोगों ने बैजलपुर खुटाहीं में शरण ली। बाद के दिनों में बांध चौड़ीकरण के नाम पर वहां डेरा जमाए लोगों की झोपड़ियां उजाड़ दी गई तो लोग सड़क पर आ गए।
अब इनकी पीड़ा देखिए। बंधुआ मजदूरों जैसी हालत में जीवन-यापन कर रहे ये लोग रात भर अपनी बहू-बेटियों की इज्जत की रखवाली के लिए जगते हैं। 1996 के बाद से अब तक इनकी बेटियां बिना मंडप के ही ब्याही गई हैं। कारण, न इनके पास ऐसी जमीन है, जहां वे मंडप गाड़ सकें, न कोई साजो-सामान कि कोई आयोजन कर सकें। जब कभी शादी हुई तो सबकुछ खुले में सड़क किनारे ही संपन्न हो जाता है। गांव के दबंग उनसे मजदूरी तो करा लेते हैं, लेकिन उचित मेहनताना उन्हें कभी नहीं मिल पाता।
विस्थापन का दर्द झेल रहे दर्जनों लोगों ने बताया कि बाढ़ के समय घटनास्थल पर पहुंचे तत्कालीन डीएम ने मृतक के परिवारों को मुआवजा व विस्थापितों के लिए जमीन मुहैया कराने की घोषणा की थी। तब नेताओं का जत्था भी उन्हें देखने कई बार वहां पहुंचा। सबने केवल वादे किए, किया कुछ भी नहीं।
rmaheshwari488@gmail.com
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भई नेताओं को अपना पेट भरने से फुरसत मिले तो तब जाकर इन गरीबों के बारे में सोचा जाए......लगता है कि इन बेचारों का तारनहार अभी पैदा नहीं हुआ।
ReplyDeleteदुखद स्थिति।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इन गरीबों की 14 saalon se aisee halat hai!!!!!जानकार बेहद अफ़सोस हुआ..
ReplyDeletesamajh nahin aata ki jahan 'Media walon ko jana chaheeye..wahan ye jate nahin...
'slumdog mil----film ke child artist ke liye raton raat paisa collect हो जाता है--मुम्बई में फ्लैट dilawa देते हैं-
-मगर मीडिया वाले इन gareebon ki coverage kar ke kyon nahin national level par kuchh karte?
टी वी चैनेलों की एक रिपोर्ट बहुत कुछ कर सकती है.
Bahut afsosh huaa..really its bad...
ReplyDeleteRegards..
DevSangeet
आप मुम्बई टाईगर पर पधारे आपका शुक्रिया!
ReplyDeleteआपने भारत के ग्रामिण क्षेत्रो की महीलाओ के बारे मे जो चित्रण किया वास्तव मे दु:खद है।
आभार/मगलभावानाओ सहित
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
माहेश्वरी साहब !
ReplyDeleteयह समाचार तो मुझे अचंभित कर गया॥
कारण की मैं फतेहाबाद से बिल्कुल पास के गाँव का हूँ और मैंने यह चर्चा ग्रामीण समाज में कभी नही सुनी।
पता नही इस गैर संजीदगी को मैं किस नज़रिए से देखूं...
बस प्रयास करूंगा की अगली बार गाँव जाऊं तो इस विषय पर विशेष ध्यान दूँ।
सूचना के लिए आभार।
बेहद दुखद एवं शोचनीय स्थिति है।
ReplyDeleteपढ़कर मन बहुत दुखित हुआ. गरीबी और जागरुकता जैसे एक साथ संभव नहीं है, ऊपर से लालफीताशाही का ढीला रवैया यह बताता है कि उन्हें केवल उसी वर्ग से मतलब है जिसका प्रतिनिधित्व वे खुद ही करते हैं...........काश
ReplyDeleteशोचनीय स्थिति है...
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