पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करने वाले देश भी हिंदू संस्कारों को तेजी से आत्मसात करने लगे हैं। यही कारण है कि विलायती खून में अब हिंदू धार्मिक संस्कारों के प्रति श्रद्धा बढ़ रही है। आश्चर्य की बात यह है कि इजरायल जैसे कट्टर देश के नागरिकों का भी हिंदू संस्कारों में विश्वास बढ़ने लगा है। यूरोप के कई देशों के नागरिकों का पितृ विसर्जन, अस्थि विसर्जन, रुद्राभिषेक, मुंडन, गोदान करने के लिए तीर्थनगरी पहुंचने का सिलसिला जारी है।
पिछले चार वर्ष में तकरीबन 30 विदेशी नागरिकों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जा चुका है। हरिद्वार आकर करीब चार सौ विदेशियों ने धार्मिक संस्कार संपन्न कराए हैं। यूं तो तीर्थनगरी हरिद्वार के प्रति विदेशियों का लगाव सदियों से रहा है। पहले भी वह इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में देखते रहे, लेकिन बीते चार वर्ष में विदेशियों की सोच में काफी कुछ बदलाव आया है। विशेष तौर पर यूरोपीय देशों डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, फ्रांस, आस्ट्रिया, जर्मनी और इटली के लोग हरिद्वार में हरकी पैड़ी, कनखल सहित अन्य स्थानों पर धार्मिक संस्कार कराने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखने वाले विदेशी अब पितृ विसर्जन भी करने लगे हैं। गंगा में अस्थियां प्रवाहित कर स्वर्ग की बात को वह भी मानने लगे हैं। विदेश में मृत्यु होने पर उनकी अस्थियां जहाज से पार्सल कर यहां पंडितों को भेजी जाती हैं। यदि कोई विदेश में संकट में हो या बीमार हो तो उसकी जन्म तिथि और कुंडली मिलान कर यहां पर पूजा अर्चना भी की जाती है। पूजा के उपरांत पंडित प्रसाद को पार्सल करते हैं। प्राच्य विद्या सोसाइटी के निदेशक डा. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि उन्होंने अब तक 400 से अधिक विदेशियों के हरकी पैड़ी, कनखल सहित अन्य घाटों पर धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए हैं।
आप तथा आपके परिवार को जन्माष्टमी तथा स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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INDIAN DEITIES
मैने तो इन्दौर में परसो देखा कि किसी 'मां बातिस्मा' (इसाई) की अस्थियाँ एक मेटाडोर में रखकर घुमायी जा रहीं थी। (इसमें उनकी 'शैतानी चाल' भी हो सकती है।)
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है । श्री कृष्ण जन्माष्टमी तथा स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |
ReplyDeletemahaan hai hamaari saanskriti........... kisi ko apnaane की लिए jor नहीं daalti .........पर सब को aakarshit करती है.......... जय हो ...........
ReplyDeleteइस देश की संस्कृ्ति ओर इसमें छिपे ज्ञान के महत्व को विश्व अब शनै शनै: समझने लगा है। लेकिन हमारे यहाँ जो ये काले अंग्रेज बैठे हैं, वो समझें तब ना।
ReplyDeleteआपके पोस्ट के दौरान अच्छी जानकारी प्राप्त हुई! बहुत बढ़िया लगा! धन्यवाद!
ReplyDeleteforenars hamari sanskriti ko apna rahe hai kyoki unhe pataa chal gayaa hai ki yahi sab baate moksh ke darwaaje kholti hai lakin hamare badete yuvaa naajane kis disha ki aur jaa rahe hai...ye sab ulta pulta kyo ho rahaa hai?
ReplyDeleteits nice post...pad kar jaankaari mili
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