Wednesday, November 12, 2008

भारत का अरुणाचल, चीन को मंजूर नहीं




भारतीय विदेश मंत्री के इस बयान कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही, भारत के इस बयान को खारिज भी कर दिया है। चीन ने दोनों देशों की सीमा बांटने वाली 'मैकमहोन रेखा' को भी 'अवैध' करार दिया और कहा कि भारत-चीन के बीच कभी भी 'आधिकारिक सीमांकन हुआ ही नहीं।'

भारतीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी रविवार को तवांग गए थे। वहां उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और चीन भी यह बात जानता है। मंगलवार को इस पर चीन की प्रतिक्रिया पूछी गई तो अफसोस जताते हुए चीनी विदेश मंत्री के प्रवक्ता क्विन गैंग ने कहा कि भारत ने यह कहते हुए 'एतिहासिक तथ्यों' को ध्यान में नहीं रखा।

गैंग ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'चीन और भारत ने कभी भी आधिकारिक रूप से सीमांकन नहीं किया है। चीन-भारत सीमा पर पूर्वी हिस्से को लेकर चीन का रुख आज भी पुराना और स्पष्ट ही है।' गैंग ने कहा कि न तो मौजूदा और न ही पूर्ववर्ती चीनी सरकार ने 'गैरकाूननी मैकमहोन रेखा' को मान्यता दी है। भारत यह जानता है।

गौरतलब है कि 'मैकमहोन रेखा' भारत और चीन के बीच विभाजक रेखा है। 1919 के शिमला सम्मेलन में हुई चर्चा के आधार पर नक्शे पर दोनों देशों के बीच यह विभाजक रेखा खीची गई थी। हालांकि इसकी कानूनी वैधता पर चीन सवाल उठाता रहा है, लेकिन दोनों देशों के बीच प्रभावी सीमा रेखा यही है। चीनी विदेश मंत्री के प्रवक्ता ने दोनों देशों के बीच लंबित सीमा विवाद के बारे में कहा कि इसका 'उचित, तर्कसंगत और दोनों पक्षों को स्वीकार्य' समाधान निकाला जाना चाहिए।

2 comments:

  1. चीन की बात मे दम है। मक्मोहन रेखा का निर्धारण
    तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने दवाब डाल कर किया था। बेहतर तो यही होगा कि भारत व चीन मैत्री और व्यवहारिकता के आधार पर कोई समाधान मिल कर खोजें।

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  2. जोहार
    उचित, तर्कसंगत समाधान दोनों देशो को मिल के खोजना चाहिए .

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