आपने प्राय: ऐसा महसूस किया होगा कि किसी घर में प्रवेश करते समय आपको एक अनजाना-सा सुख, प्रसन्नता एवं ताजगी का अनुभव होता है। दूसरी तरफ कभी-कभी इसके ठीक विपरीत भी होता है। किसी घर में प्रवेश करते समय बाहर से ही उदासी का आभास होता है। वास्तुशास्त्र केअनुसार ऐसा घर में मौजूद सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के कारण होता है। यदि मकान का मुख्यद्वार वास्तु के अनुरूप बना हो तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार स्वत: ही हो जाएगा। अत: आप वास्तुशास्त्र के इन सुझावों पर अवश्य ध्यान दें :
1. मुख्यद्वार का आकार हमेशा घर के भीतर बने सभी दरवाजों की तुलना में लंबाई व चौडाई की दृष्टि से सबसे बडा होना चाहिए।
2. सामान्यत: आजकल 4&8 फुट आकार का मुख्यद्वार वास्तु के अनुसार सर्वोत्तम माना जाता है।
3. प्राय: महानगरों में स्थित फ्लैटों में इतने बडे आकार का मुख्यद्वार बन नहीं पाता और स्थानाभाव के कारण इसे छोटा करना पडता है। ऐसी दशा में मुख्यद्वार 3 &7 फुट का भी रखा जा सकता है। परंतु यह याद रहे कि फ्लैट में भीतर का कोई भी दरवाजा मुख्यद्वार से बडा न हो।
4. यदि किसी कारणवश मुख्यद्वार भवन के अंदर के दरवाजों से छोटा बन गया हो तो उसके आसपास एक ऐसी फोकस लाइट लगाएं, जिसका प्रकाश हर समय मुख्यद्वार और वहां से प्रवेश करने वाले लोगों पर पडे।
5. मकान की चौखट या मुख्यद्वार हमेशा लकडी का बना होना चाहिए। मकान के भीतर केबाकी दरवाजों के फ्रेम या चौखट लोहे के बने हो सकते हैं।
6. मुख्यद्वार हमेशा चौखट वाला होना चाहिए। आज के दौर में ज्यादातर घरों में चौखट की बजाय तीन साइड वाला डोर फ्रेम लगाया जा रहा है। यह वास्तु की दृष्टि से ठीक नहीं होता। इस वास्तुदोष को दूर करने के लिए लकडी की पतली पट्टी या वुडन फ्लोरिंग में इस्तेमाल होने वाली पतली-सी वुडन टाइल को मुख्यद्वार पर फर्श के साथ चिपका देने से भी यह वास्तुदोष दूर किया जा सकता है।
7. लोहा, तांबा, पीतल, स्टील जैसी धातुएं ऊष्मा एवं ऊर्जा की सुचालक होती है और इनसे सकारात्मक ऊर्जा नहीं मिलती। इसलिए मुख्यद्वार के लिए इन धातुओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
8. लकडी के विकल्प के रूप में यदि संपूर्ण भवन में लोहे काफ्रेम या दरवाजा लगाना चाहती हों तो कम से कम मुख्यद्वार लकडी का जरूर होना चाहिए। लेकिन इसके लिए पीपल, बरगद जैसे पूजनीय वृक्षों की लकडी का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
9. मकान के भीतर के सभी दरवाजों के लिए प्रेस्डवुड, पार्टीकल्स, प्लाइवुड, बोर्ड, फाइबर आदि के मैटीरियल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
10. वास्तु के अनुसार घर का मुख्यद्वार हमेशा दो पल्ले का बना होना चाहिए।
11. मुख्यद्वार से संबंधित वास्तु दोषों को दूर करने के लिए इसके पास तुलसी के पौधे का गमला रखना चाहिए। इससे किसी भी नकारात्मकऊर्जा का निराकरण किया जा सकता है।
12. यदि घर का प्रवेशद्वार दक्षिण, पश्चिम या नैऋत्य कोण में हो तो उसके भीतर या बाहर गणेश जी की मूर्ति लगाएं।
13. घर के प्रवेशद्वार के आसपास किसी तरह का अवरोध जैसे-बिजली के खंभे, कोई कंटीला पौधा आदि नहीं होना चाहिए।
14. प्रवेशद्वार के आसपास की सफाई का पूरा ध्यान रखें। डस्टबिन सामने न रखें।
15.प्रतिदिन सूरज ढलनेके बाद घर के मुख्य द्वार की लाइट जरूर जलानी चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी का आगमन होता है।
bahut acchi jaankaari....
ReplyDeletebahut bahut dhanywaad aapka........
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी,्कोशिश करूंगा कि मेरे मकान का मुख्यद्वार ऐसा ही हो.
ReplyDeleteकई तो मुझे पता थे पर कई और भी दूसरी बातें भी आपने बतायीं. धन्यवाद.
ReplyDeleteमित्रो, आपलोग मेरे ब्लॉग पर आए ,मेरा उत्साह बडाया
ReplyDeleteउस के लिए आप सब को कोटि-कोटि धनयबाद
सुंदर लेख. एक बेतरीन और सफल प्रयास
ReplyDeleteधन्यवाद