Thursday, January 22, 2009

मर कर भी दूसरों की प्रीत बन गई प्रीति


प्रीति जैसा नाम वैसा ही स्वभाव, हर किसी की दुलारी थी वह बच्ची। लेकिन कोई नहीं जानता था किशोरावस्था में ही वह इस दुनिया से चल बसेगी।

जिस मां ने उसे बड़े जतन व प्यार से पाला था, उस मां ने ही प्रीति को दूसरे की प्रीत बनाने के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रख उसके अंगदान करने का निर्णय लिया। लेकिन अंगदान तो संभव नहीं हो सका, हां प्रीति की मौत के बाद भी उसकी आंखें दुनिया को जरूर देख सकेगी।

भले ही प्रीति का परिवार मजदूरी कर अपना जीवनयापन कर रहा है, लेकिन परिवार के संस्कार इस कदर हैं कि हर कोई इस परिवार की सराहना किए बिना नहीं रह पा रहा है।

धनकोट निवासी राम अवतार मजदूरी कर अपने चार बच्चों का लालन-पालन कर रहा है। धार्मिक संस्थाओं से जुड़े रहने के कारण उनके विचार एवं शिक्षा चंद बातों में ही झलक जाती है। राम अवतार की 16 वर्षीय बच्ची की मौत मंगलवार की रात को अचानक हो गई। प्रीति की मौत से उसके घर ही नहीं बल्कि आसपास में मातम छा गया। घर के सभी सदस्यों ने मृत्युपरांत अंगदान का निर्णय लिया है। लेकिन प्रीति की मौत घर पर होने के कारण एवं शोक में कुछ समय बीत जाने के कारण यह संभव नहीं हो सका। लेकिन मां ने जिद ठान ली, कम से कम नेत्रदान तो होना ही चाहिए। पिता द्वारा वाईपी महेन्द्रू निरामया आई बैंक को खबर करने पर रात के ग्यारह बजे डा.राकेश मदान की टीम ने जाकर प्रीति का नेत्रदान लिया।

प्रीति के घर ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों का भी कहना था कि प्रीति मर कर भी दूसरों की प्रीत बन गई।

5 comments:

  1. aapne bahut dukh bhari baat likhi hai,preeti ki dastaan bahut hi dukh bhari hai,

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  2. सुंदर और मार्मिक !

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  3. भावुकतापूर्ण प्रस्तुति !

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  4. bouth he aacha post kiyaa yaar good going

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