Monday, February 2, 2009

वे राम के बंदे हैं और रहीम के भी


वे राम के बंदे हैं और रहीम के भी। ईश्वर और अल्लाह उनकेलिए एक ही हैं। नियमित नमाज अदा करते हैं तो राम चरित मानस के दोहे भी कंठस्थ हैं। उनका मानना है कि श्रद्धा-आस्था को हिंदू और मुसलमान में विभाजित नहीं किया जा सकता और अपनी इसी भावना के साथ मिर्जापुर के इस्लाम भाई यहा के माघ मेला में मानस पाठ कर रहे हैं।

उनका जिक्र चलने पर अहिल्या आश्रम शिविर के बाबा तुलसीदास कहते हैं- कौन कहता है कि सरस्वती की धारा लुप्त हो गई है। इस्लाम यहा अपनी जुबान से सरस्वती की धारा ही तो बहा रहे हैं, जिसका गंगा और जमुना से संगम हो रहा है।

प्रयाग के पड़ोसी जिले मिर्जापुर के पहाड़ी ब्लाक के धर्मदेवा गाव के निवासी हैं मोहम्मद इस्लाम। महावीर मार्ग पर स्थित अहिल्या आश्रम के शिविर में मानस पाठ के लिए उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। उन्हें मानस वेत्ता माना जाता है और अब तक वे दो हजार से अधिक बार रामायण पाठ कर चुके हैं। सुंदरकाड तो उन्हें जुबानी याद है।

इस्लाम बताते हैं- पिछले 18 साल से मैं मानस पाठ कर रहा हूं। जिस वक्त मुंह से मंगल भवन अमंगल हारी निकलता है। लगता है कि मैं विश्व कल्याण के काम में जुटा हुआ हूं। रामचरित मानस की ओर इस्लाम का रुझान अचानक ही हुआ। पहले वह मुंबई में सिलाई का कार्य करते थे। वहा मामला जमा नहीं तो वापस गाव आ गए। एक दिन वह गाव में ही कीर्तन-पाठ कार्यक्रम में शरीक हुए तो काफी आनंद आया। घर में रामायण खरीद लाए और कई बार अध्ययन किया। इसके बाद तो वह जहा भी अखंड रामायण का कार्यक्रम होता वहा चले जाते। कुछ ही दिनों बाद उन्हें रामायण और सुंदर काड कंठस्थ हो गया। देखते ही देखते ढोल-मजीरा के साथ उनकी अंगुलिया हारमोनियम पर भी सध गई। असीम आनंद पाकर वह इसी में रमते चले गए। बताते हैं कि इसके लिए उन्हें दूर-दूर से बुलावा आता है। अब तक वह 2230 बार अखंड रामायण का पाठ कर चुके हैं।

यह पूछे जाने पर कि कट्टरपंथियों को इस पर आपत्ति नहीं, वे कहते हैं- बस आप में मजबूती हो। यही बड़ी बात है। फिर कोई भी मुझसे बहस कर ले। नियम से नमाज पढ़ता हूं। कुरान की आयतें कंठस्थ हैं। बताते हैं कि वह आस पास के गावों में युवाओं को मजहबी पाठ पढ़ाने के लिए शिविर भी आयोजित कर चुके हैं। इसके अलावा गाजीपुर में कुछ साल पहले हुए दंगे के दौरान पुलिस और प्रशासन ने उन्हें बुलाया भी था।

No comments:

Post a Comment