Thursday, February 5, 2009

परिवार को जोड़ता वास्तु


परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेमपूर्ण संबंध बनाए रखने में वास्तु का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए प्राचीनकाल से ही अपने घर को व्यवस्थित करते समय वास्तु के सिद्धांतों पर अमल करने की सलाह दी जाती है। हालांकि आधुनिक युग में छोटे फ्लैट्स में वास्तु के सभी सिद्धांतों का पूरी तरह पालन कर पाना संभव नहीं होता। फिर भी आप चाहें तो इसके कुछ आसान उपायों को अपनाकर अपने परिवार को खुशहाल बना सकते हैं :

1. यदि आपका मकान केवल एक ही मंजिल वाला हो या फिर आप किसी अपार्टमेंट के फ्लैट में रहते हैं तो उसके दक्षिण-पश्चिमी, पश्चिमी या फिर दक्षिणी भाग में बुजुर्गो जैसे-दादा-दादी या फिर माता-पिता का कमरा होना चाहिए। जबकि बच्चों के लिए सभी दिशाएं उपयुक्त हैं।

2. परिवार के सभी सदस्यों के बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव होता है, जब पूरे मकान के चारों ओर खुली जगह हो। यदि प्रकाश की ज्यादा व्यवस्था न हो पाए तो खिडकी के साथ रोशनदान जरूर बनवाएं। प्राकृतिक प्रकाश से व्यक्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है और परिवार के सदस्यों के बीच वैमनस्य की भावना नहीं पनपती।

3. पूजा-पाठ, जप-तप, कथा-प्रवचन, योग एवं ऐसे ही अन्य धार्मिक कार्यो के लिए यूं तो पूर्व दिशा सर्वोत्तम है। फिर भी पूर्वोत्तर दिशा ऐसे सभी कार्यो के लिए उत्तम है।

4. हर महीने में एक बार कम से कम एक दिन ऐसा जरूर निकालें कि जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर धार्मिक क्रियाकलाप जैसे हवन, यज्ञ, कथा आदि करें। इससे न केवल घर की शुद्धि होती है बल्कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक लगाव भी बढता है।

5. यदि आपके मकान में एक से अधिकमंजिलें हैं तो आयु में बडे सदस्यों को ऊपरी एवं छोटे सदस्यों को निचली मंजिल पर रहना चाहिए। अर्थात बडों के पांव के नीचे के भाग में छोटे सदस्य रहें तो उत्तम है।

6. अगर परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को सीढियां उतरने-चढने में कठिनाई महसूस हो तो ऐसी स्थिति में बुजुर्गो का बेड ऊपरी मंजिल पर रहने वाले बच्चों या युवाओं के बेड के बिलकुल ऊपर न होकर थोडा दाएं या बाएं होना चाहिए।

7. पूरे परिवार की एकजुटता के लिए यह भी ध्यान रखें कि आपका डाइनिंग रूम मकान के पूर्व, उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशाओं में हो।

8. भोजन करते समय परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे और बाकी सदस्य दक्षिण छोडकर किसी भी दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं।

9. लंच या डिनर के समय परिवार के सभी सदस्यों को टीवी देखने के बजाय आपस में प्रसन्नतापूर्वक बातचीत करनी चाहिए। किसी भी कटु विषय पर बातचीत नहीं करनी चाहिए।

10. पश्चिमोत्तर दिशा में स्थित कमरे में रहने वाली अविवाहित लडकी का विवाह यथाशीघ्र अच्छे घर में हो जाता है और वह शादीशुदा जीवन में भी सुखी रहती है।

11. बच्चों के रहने का कमरा पूर्व, पश्चिम या पूर्वोत्तर के साथ लगती दिशाओं में रखें। छोटे बच्चों की प्रतिभा एवं योग्यता में वृद्धि करने के लिए पढाई का कमरा पूर्व, पूर्वोत्तर या फिर उत्तर दिशाओं में व्यवस्थित करें। विद्यार्थी उसी कमरे में पूर्व, पूर्वोत्तर या फिर उत्तर दिशाओं में मुख करके पढें तो अच्छा रहेगा।

12. पश्चिम एवं उत्तर दिशा में स्थित वायव्य कोण में बने कमरे का यदि ड्राइंगरूम या गेस्टरूम के रूप में प्रयोग करें तो मेहमानों को वहां रहना तो अच्छा लगेगा ही, साथ ही वे आपके प्रशंसक भी बनेंगे।

यदि परिवार के सभी सदस्य वास्तुशास्त्र के इन सिद्धांतों का पालन करें तो इससे वातावरण सौहार्दपूर्ण बना रहेगा।

3 comments:

  1. मेरठ में हो रहा है हिन्दी ब्लागिंग पर भव्य सेमिनार
    http://irshadnama.blogspot.com/

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  2. बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने.
    मैं चूँकि निर्माण क्षेत्र से जुड़ा हूँ इसलिए वास्तु का महत्व समझता हूँ. पर इतनी विस्तृत जानकारी न थी मेरे पास.

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  3. बहुत ही जनोपयोगी जानकारी.....

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