Tuesday, March 17, 2009

कमाई का जरिया बना कुत्तों का.....................


कभी वासिफ खान को कुत्तों से बहुत डर लगता था। मुंबई में यह कोई बड़ी बात नहीं है, जहां अक्सर आवारा कुत्ते लोगों पर न सिर्फ भौंकते है बल्कि काट भी लेते है।आज वही वासिफ पालतू कुत्तों को नियमित टिफिन सप्लाई करने वाली एजेंसी होमकेयर डॉगफूड चलाते है।

29 वर्षीय वासिफ के ग्राहकों में सेलेब्रिटीज से लेकर उच्चस्तरीय एक्जीक्यूटिव्स तक के पालतू कुत्ते शामिल है। मुंबई में भूखे लोगों को घर का पका भोजन पहुँचाते डिब्बावालों या फ्रेश पिज्जा की सप्लाई कर रहे पिज्जा ब्वॉय की तरह ही होमकेयर डागफूड के डिलीवरीमैन मनुष्य के सबसे वफादार दोस्त को खाना सप्लाई करने के लिए मुंबई की सड़कों पर इधर-उधर जाते दिख जाते है। वासिफ बताते है, ''कुत्ते काफी समझदार होते है। खाने का समय होते ही उन्हे अपने-आप पता चल जाता है। यह देखकर अच्छा लगता है कि वे हमारे उत्पादों का इंतजार कर रहे होते है और डिलीवरीमैन को देखते ही उछलने और भौंकने लगते है।''

चार साल पहले वासिफ एक कॉमर्स ग्रेजुएट के रूप में नौकरियां बदलते हुए दिशाहीन जीवन जी रहे थे। एक सुबह उन्होंने बांद्रा स्थित अपने घर के पास मालिकों के साथ मार्निग वॉक पर निकले कुत्तों को देखा। वह कहते है, ''अचानक मेरे दिमाग की बत्ती जल गई। मुझे लगा डागफूड टिफिन का बिजनेस क्यों नहीं ?'' उनके मित्रों को यह विचार पागलपन लगा, क्योंकि कुत्तों से डरने के कारण वासिफ ने कभी कुत्ता पालने के बारे में भी नहीं सोचा था। खैर, वासिफ ने अपने नाम के कार्ड प्रिंट करवाए और लोगों की रुचि जानने के लिए दरवाजों को खटखटाने लगे।

कुत्तों के मालिकों को उनका यह आइडिया काफी पसंद आया और प्रोत्साहित वासिफ ने संभावित ग्राहकों के पालतू कुत्तों की प्रजाति, आकार और भोजन संबंधी आंकड़ों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने पशु चिकित्सकों से भी सलाह ली। सबसे पहले उन्होंने सामान्य चावल और मांस के मिश्रण से डागफूड टिफिन तैयार किया, जिसे पड़ोस में टहलते हुए आवारा कुत्ते को खिलाया गया। कोई बुरा प्रभाव सामने न आने पर वासिफ ने इसके सैंपल जांच के लिए मुफ्त में बांटे और कई लोगों ने उन्हे नियमित डिलीवरी के लिए आर्डर दे दिया।

खान बताते है कि नए-नए ग्राहकों को बनाने के लिए उन्होंने कड़ा प्रयास किया। एक बार तो कार में बैठे कुत्ते को देखकर उन्होंने स्कूटर से उसका पीछा किया, ताकि वह उसके मालिक से अनुबंध कर सकें। साइकिल से डिलीवरी की शुरुआत करने वाले वासिफ अब स्कूटरों और मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल करते हैं, जिनके पीछे पिज्जा डिलीवरी करने वालों की स्टाइल में बॉक्स फिट रहता है। इस बॉक्स पर उनकी कंपनी का लोगो लगा है। कभी अकेले ही डॉगफूड टिफिन बनाने, डिलीवरी, मार्केटिंग और पब्लिक रिलेशन जैसे काम संभालने वाले वासिफ के पास आज 24 लोगों का प्रशिक्षित स्टाफ है। भोजन में विभिन्नता लाने के लिए होमकेयर डॉगफूड के मेन्यू में भैंसे, चिकन और बकरी के व्यंजन है तो हिंदू और जैन घरों के पालतू कुत्तों के लिए शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध है।

1 comment:

  1. वासिफ जी सोच ने एक नया व्यवसाय और रोजगार का मार्ग दिखाया है .
    वाकई उनकी लगन कबीले तारीफ है .

    ReplyDelete