Monday, December 15, 2008

रणबांकुरों को याद है बांग्लादेश की फतह


रणबांकुरों को याद है बांग्लादेश की फतह




सन 1971 में लड़ा गया भारत पाक युद्ध सेना ने बहुत ही नियोजित तरीके से लड़ा था। फील्ड मार्शल मानेक शा ने सेना को पहले से ही हमले के लिए तैयार कर दिया था। यही कारण है जब युद्ध से छह माह पहले बांग्लादेश में गृहयुद्ध हो रहा था तो संभावित हमले को देखते हुए वहां की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेने के लिए भारतीय सेना के जवान सादी वर्दी में पहुंच चुके थे।

लखनऊ के रहने वाले कई वीर बांकुरों ने आखिरी के तीन दिनों में पाक युद्ध पर हमला और तेज कर दिया था। जिस कारण 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस विजय की यादें रणबांकुरों के मन में आज भी ताजा है।

उस युद्ध में अपने पराक्रम का परिचय देने वाले जांबाजों के जेहन में 37 साल बाद भी उसकी यादें ताजा हो उठती हैं। सेवानिवृत्ता कर्नल एके सक्सेना युद्ध के समय सेना में कैप्टन थे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर का नेतृत्व कर रहे कैप्टन सक्सेना डेरा बाबा नानक सेक्टर में तैनात थे। कर्नल सक्सेना बताते हैं कि पाकिस्तान से हमलों की सूचना मिलने के बाद मई व जून 1971 में ही सेना को सभी मोर्चो पर तैनात कर दिया गया था। तीन दिसम्बर को पाकिस्तान ने चारों ओर से भारत पर आक्रमण कर दिया था। भारतीय सेना भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए आगे बढ़ती गई। भारतीय रणबांकुरों के आगे पाकिस्तानी सेना कहीं नहीं टिक सकी। मात्र 13 दिनों की लड़ाई के बाद 16 दिसम्बर को जनरल नियाजी के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

विजय हासिल करने के लिए फील्ड मार्शल मानेक शा ने एक बार युद्ध क्षेत्र में तीन सौ सैन्य अधिकारियों को संबोधित किया था। उन्होंने वहां लगे माइक को हटाते हुए कहा मैं अपने जांबाजों को अपनी ही आवाज पहुंचाना चाहता हूं, इसके लिए आर्टीफिशियल माइक की कोई आवश्यकता नहीं। मैं चाहता हूं देश की रक्षा का मेरा संकल्प सभी अधिकारियों तक सीधा पहुंचे। वहीं तीन कुमाऊं रेजीमेंट में प्लाटून कमांडर रहे नायब सूबेदार हयात सिंह बताते हैं कि पूर्वी पाकिस्तान में उनकी सेना पर पाकिस्तान छिपकर हमले कर रहा था। ट्रेन के रास्ते उसके असलहे, गोला बारूद और रसद की आपूर्ति की जा रही थी। हमने सोचा कि यदि इस रेलपटरी को उखाड़ दिया जाए तो उनकी आपूर्ति ठप पड़ जाएगी। रेल लाइन को उखाड़ने के लिए प्रयास के दौरान पाकिस्तानी सेना की तरफ से दिन भर गोलीबारी हुई। आखिर रात के समय भारतीय सेना ने उनकी आपूर्ति करने वाली रेल लाइन को उखाड़ दिया था।

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